बिहार में आयोजित सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) परीक्षा 2024 एक बड़े विवाद में फंस गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया था, और इसे विभिन्न माध्यमों से लाखों रुपये में बेचा गया। इस घटना ने शिक्षा और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


क्या है मामला?

बिहार CHO परीक्षा 2024 का आयोजन स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार के अधीन किया गया था। इस परीक्षा में हजारों उम्मीदवारों ने भाग लिया, लेकिन अब यह खुलासा हुआ है कि परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया था।

  • पेपर लीक का खुलासा: जांच में पता चला कि एक परीक्षा केंद्र ने कथित तौर पर 4 लाख रुपये में पेपर बेच दिया।
  • सोशल मीडिया पर वायरल: परीक्षा के ठीक पहले सोशल मीडिया पर प्रश्नपत्र वायरल होने लगे।
  • अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूली: बताया जा रहा है कि कई अभ्यर्थियों से पास कराने के बदले बड़ी रकम ली गई।

कैसे हुआ खुलासा?

जांच एजेंसियों को पेपर लीक की जानकारी एक अभ्यर्थी की शिकायत के बाद मिली। इसके बाद परीक्षा केंद्रों और संबंधित अधिकारियों पर जांच तेज कर दी गई।

  • पकड़े गए लोग: अब तक कई लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें परीक्षा केंद्र के स्टाफ और कुछ दलाल शामिल हैं।
  • डिजिटल फॉरेंसिक जांच: सोशल मीडिया पर वायरल प्रश्न पत्रों की जांच की जा रही है।

पेपर लीक से क्या होगा असर?

इस घटना से न केवल परीक्षा रद्द हो सकती है, बल्कि हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य भी दांव पर लग गया है।

  • पुनः परीक्षा की संभावना: पेपर लीक की पुष्टि के बाद नई तारीख पर परीक्षा आयोजित की जा सकती है।
  • अभ्यर्थियों में आक्रोश: ईमानदारी से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों ने इस घटना पर नाराजगी जाहिर की है और न्याय की मांग की है।

सरकार की प्रतिक्रिया

बिहार सरकार ने पेपर लीक मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

  • सख्त कार्रवाई का आश्वासन: राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
  • परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा: सरकार अब परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए नई नीतियों पर विचार कर रही है।

क्या होनी चाहिए कार्रवाई?

इस तरह की घटनाएं परीक्षा प्रणाली की साख को नुकसान पहुंचाती हैं।

  1. कड़ी सजा: दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए।
  2. तकनीकी सुधार: परीक्षा प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और डिजिटल बनाने की आवश्यकता है।
  3. पारदर्शिता: परीक्षा संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए स्वतंत्र एजेंसियों को नियुक्त किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष
बिहार CHO पेपर लीक कांड ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि शिक्षा और भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार की सख्त आवश्यकता है। उम्मीद है कि सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय करेगी।

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