सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे सरकारी सेवा में चयनित उम्मीदवारों का पुलिस सत्यापन उनकी नियुक्ति के 6 महीने के भीतर पूरा करें। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के लापरवाह और उदासीन रवैये के खिलाफ चेतावनी दी कि वे सरकारी सेवा में नियुक्तियों के लिए चयनित उम्मीदवारों की पुलिस सत्यापन रिपोर्ट आवश्यक समय सीमा के भीतर जमा करने में विफल रहे, जिससे उम्मीदवारों का नियमितीकरण प्रभावित हुआ।

न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने सभी राज्यों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किए कि वे जांच पूरी करें और सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए चयनित उम्मीदवारों के चरित्र, पूर्ववृत्त, राष्ट्रीयता, प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रामाणिकता आदि के संबंध में कानून या सरकारी आदेश में निर्धारित समय सीमा के भीतर या किसी भी मामले में उनकी नियुक्ति की तारीख से छह महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करें।

सरकारी सेवा में नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने एक नेत्र सहायक को सेवानिवृत्ति की तिथि से दो माह पूर्व बर्खास्त करने के आदेश को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया है। आपको बता दें कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति 6 ​​मार्च 1985 को लोक सेवा में हुई थी, लेकिन पुलिस द्वारा सत्यापन रिपोर्ट विभाग को तब दी गई, जब उसकी सेवानिवृत्ति तिथि से मात्र दो माह शेष थे। रिपोर्ट में कहा गया कि वह देश का नागरिक नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किए कि वे सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए चयनित अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के चरित्र, प्रामाणिकता, पूर्ववृत्त, राष्ट्रीयता आदि के संबंध में जांच पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करें। यह उनकी नियुक्ति की तिथि से छह माह से अधिक समय के भीतर नहीं किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बासुदेव दत्ता की याचिका पर सुनवाई की। इसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित निर्देश को खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने बर्खास्तगी आदेश को न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी, जिसने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया और संबंधित प्राधिकारी को कानून के अनुसार अपीलकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी, हाई कोर्ट ने संबंधित प्राधिकारी द्वारा पारित बर्खास्तगी के आदेश की पुष्टि की।

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