बॉलीवुड के ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार न केवल अपनी एक्टिंग और फिटनेस के लिए बल्कि अपने बिजनेस सेंस के लिए भी जाने जाते हैं। वे हर साल सबसे ज्यादा फिल्में करने वाले एक्टर्स में से एक हैं, लेकिन कई बार उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पातीं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर फिल्म फ्लॉप हो जाए तो अक्षय अपनी फीस कैसे वसूलते हैं?

फीस मॉडल: अक्षय का समझदारी भरा कदम

अक्षय कुमार का पेमेंट मॉडल उनके बिजनेस माइंड का उदाहरण है। वे अपनी फीस के लिए फिल्म के प्रदर्शन के आधार पर एक फ्लेक्सिबल स्ट्रेटेजी अपनाते हैं। यहां जानिए उनका तरीका:

  1. अपफ्रंट फीस और प्रॉफिट शेयरिंग
    अक्षय कुमार अपनी फीस का एक हिस्सा शूटिंग शुरू होने से पहले ले लेते हैं। यह उनके “अपफ्रंट फीस मॉडल” का हिस्सा है। इसके अलावा, वे फिल्म की कमाई में से प्रॉफिट का एक निश्चित प्रतिशत भी लेते हैं। अगर फिल्म हिट हो जाती है, तो यह डील उनके लिए फायदेमंद होती है।
  2. मेकर्स के साथ जोखिम साझा करना
    अक्षय अक्सर प्रोड्यूसर्स के साथ प्रॉफिट-शेयरिंग मॉडल पर काम करते हैं। अगर फिल्म अच्छा बिजनेस करती है, तो वे बड़ी रकम कमा लेते हैं। और अगर फिल्म फ्लॉप हो जाती है, तो उनकी फीस का बड़ा हिस्सा प्रोड्यूसर्स पर भार नहीं डालता।
  3. सैटेलाइट और डिजिटल राइट्स का फायदा
    अक्षय कुमार का ब्रांड इतना मजबूत है कि उनकी फिल्मों के सैटेलाइट और डिजिटल राइट्स की भारी डिमांड रहती है। फिल्म भले ही सिनेमाघरों में फ्लॉप हो, लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म और टीवी चैनलों पर उनकी फिल्में अच्छी कमाई कर लेती हैं। अक्षय अक्सर इन राइट्स की डील्स में भी हिस्सेदारी लेते हैं।
  4. एडवांस पेमेंट और ब्रांडिंग
    अक्षय अपनी फिल्मों के प्रमोशन और ब्रांडिंग के जरिए भी कमाई करते हैं। वे फिल्म से जुड़े ब्रांड्स के साथ पार्टनरशिप करते हैं और इसके जरिए एक्स्ट्रा इनकम जनरेट करते हैं।

क्यों सफल है यह मॉडल?

अक्षय का यह मॉडल प्रोड्यूसर्स और एक्टर्स दोनों के लिए फायदेमंद है। वे फिल्म की कमाई और नुकसान में बराबर की भागीदारी निभाते हैं, जिससे प्रोड्यूसर्स पर कम दबाव पड़ता है। इसके अलावा, इस मॉडल से अक्षय हमेशा अपनी बेसिक फीस कवर कर लेते हैं।

स्मार्ट स्ट्रेटेजी का नतीजा

अक्षय कुमार का यह बिजनेस मॉडल न केवल उन्हें एक भरोसेमंद एक्टर बनाता है बल्कि इंडस्ट्री के बाकी एक्टर्स के लिए भी प्रेरणा है। यह मॉडल बताता है कि समझदारी से काम लिया जाए तो फ्लॉप फिल्मों का नुकसान भी नियंत्रित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

अक्षय कुमार की यह स्ट्रेटेजी एक क्लासिक उदाहरण है कि कैसे मेहनत, टैलेंट और स्मार्ट फाइनेंशियल प्लानिंग से बॉलीवुड में सफलता की कहानी लिखी जा सकती है। उनकी यह रणनीति उन्हें न केवल एक सुपरस्टार बल्कि एक बेहतरीन बिजनेसमैन भी साबित करती है।

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