
जैसे-जैसे केंद्रीय बजट 2025-26 का समय नजदीक आ रहा है, विभिन्न उद्योग जगत की कंपनियों और संघों ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपनी शुरू कर दी हैं। बजट की तैयारी में उद्योग जगत की अहम भूमिका होती है, क्योंकि इन्हीं सिफारिशों के आधार पर आर्थिक नीतियों में सुधार और बदलाव किए जाते हैं, जो विभिन्न सेक्टर्स को प्रभावित करते हैं।
वर्ष 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए सरकार से नीतिगत सुधारों, टैक्स राहत, और आधारभूत ढांचे के विकास के अनुरोध किए गए हैं। आइए जानते हैं विभिन्न उद्योगों की प्रमुख सिफारिशें और उनकी बजट 2025-26 से जुड़ी उम्मीदें।
1. विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector)
विनिर्माण क्षेत्र ने सरकार से कई सुधारों की मांग की है ताकि उत्पादन को बढ़ावा मिल सके और ‘मेक इन इंडिया’ को और मजबूती दी जा सके। यहां उद्योग जगत की प्रमुख सिफारिशें हैं:
- इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार: विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश की मांग की जा रही है। खासकर बंदरगाह, सड़क, और रेल कनेक्टिविटी के सुधार की जरूरत है ताकि लॉजिस्टिक्स लागत को कम किया जा सके।
- आयात शुल्क में कमी: कई उत्पादों के आयात शुल्क को कम करने की मांग की गई है ताकि कच्चे माल की लागत कम हो सके और स्थानीय विनिर्माण को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़ावा मिल सके।
- PLI स्कीम में विस्तार: प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को अधिक उत्पादों तक विस्तारित करने की सिफारिश की गई है ताकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश बढ़ाया जा सके और रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकें।
2. आईटी और सॉफ्टवेयर क्षेत्र
आईटी और सॉफ्टवेयर क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, और इनसे निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है। इस सेक्टर से जुड़ी सिफारिशें हैं:
- टैक्स रियायत: आईटी उद्योग में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) पर खर्च में टैक्स में रियायत की मांग की गई है। इससे देश में डिजिटल इनोवेशन और सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी को नया आयाम मिलेगा।
- डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा में निवेश: आईटी सेक्टर ने सरकार से साइबर सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक निवेश की मांग की है ताकि देश की सुरक्षा और डाटा संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
- ग्लोबल टैक्सेशन में एकरूपता: कई देशों में भारत से जुड़े आईटी सेवा प्रदाताओं पर टैक्सेशन का बोझ होता है। इसलिए सरकार से अंतरराष्ट्रीय टैक्सेशन के मसलों पर बातचीत कर इसे आसान बनाने की उम्मीद जताई गई है।
3. ई-कॉमर्स और रिटेल क्षेत्र
ई-कॉमर्स और रिटेल सेक्टर ने उपभोक्ता मांग और नए नियमों के चलते सरकार से कई प्रोत्साहनों की उम्मीद जताई है:
- GST में सरलीकरण: ई-कॉमर्स कंपनियों ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में सरलता की मांग की है ताकि छोटे विक्रेताओं को भी प्लेटफॉर्म पर जोड़ने में सहूलियत हो।
- FDI नीति में ढील: रिटेल सेक्टर ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) नियमों में और ढील देने का सुझाव दिया है ताकि विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में निवेश कर सकें और देश में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हों।
- लॉजिस्टिक्स पर ध्यान: उद्योगों ने मांग की है कि सरकार ई-कॉमर्स के लिए लॉजिस्टिक्स को और मजबूत करे। इससे उत्पादों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित हो सकेगी और कस्टमर एक्सपीरियंस बेहतर होगा।
4. ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर
भारत में बढ़ती हुई पर्यावरणीय चिंताओं के बीच, ऑटोमोबाइल और ईवी सेक्टर ने अपनी सिफारिशों में पर्यावरण को ध्यान में रखा है:
- ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशनों के विस्तार की मांग की गई है ताकि ईवी अपनाने में आसानी हो और प्रदूषण को कम किया जा सके।
- GST कटौती: ईवी और हाइब्रिड वाहनों पर GST दर में कमी की मांग की गई है ताकि अधिक से अधिक लोग इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएं और सरकार का ‘ग्रीन मोबिलिटी’ का सपना साकार हो सके।
- सॉफ्ट लोन और सब्सिडी: ईवी निर्माताओं के लिए सस्ते ऋण और सब्सिडी की मांग की गई है ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी आए और यह आम आदमी की पहुंच में हो।
5. कृषि क्षेत्र
कृषि क्षेत्र भारत का आधार है और इस पर निर्भर करोड़ों किसानों के लिए कई सिफारिशें की गई हैं:
- उर्वरक सब्सिडी: सरकार से उर्वरकों पर सब्सिडी जारी रखने का अनुरोध किया गया है ताकि किसानों पर वित्तीय बोझ न पड़े और उत्पादकता में सुधार हो।
- कृषि आधारभूत ढांचा विकास: कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश की आवश्यकता है, खासकर भंडारण सुविधाओं, कोल्ड स्टोरेज, और परिवहन के बुनियादी ढांचे में। यह किसानों को अपनी फसल को अच्छी कीमत पर बेचने में मदद करेगा।
- किसानों के लिए क्रेडिट सुविधा: ग्रामीण इलाकों में छोटे और मझौले किसानों के लिए ऋण की पहुंच को आसान बनाने की मांग की गई है। इससे किसान खेती के लिए आवश्यक उपकरण और सामग्री खरीद सकेंगे।
6. MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम)
एमएसएमई सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार और उत्पादन का बड़ा हिस्सा है। इसे लेकर भी उद्योग जगत ने कई सिफारिशें की हैं:
- कम ब्याज दर पर ऋण: एमएसएमई सेक्टर ने सरकार से सस्ते ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि वे अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकें और विस्तार कर सकें।
- डिजिटल इंडिया को बढ़ावा: एमएसएमई सेक्टर को डिजिटलाइजेशन से जोड़ने के लिए सरकार से सहायता की मांग की गई है ताकि छोटे व्यवसाय भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का लाभ उठा सकें और अपने उत्पादों का विपणन कर सकें।
- एक्सपोर्ट सब्सिडी: एमएसएमई को अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने की मांग की गई है, जिससे यह सेक्टर वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके।
7. रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर
रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भी सुधारों की मांग की गई है ताकि देश में आर्थिक गतिविधियों को और प्रोत्साहन मिल सके:
- गृह ऋण में राहत: रियल एस्टेट सेक्टर ने होम लोन पर ब्याज दरों में कटौती की मांग की है ताकि अधिक से अधिक लोग अपने घर खरीदने का सपना पूरा कर सकें।
- रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा: रियल एस्टेट सेक्टर ने मांग की है कि इसे औद्योगिक दर्जा दिया जाए ताकि उन्हें उद्योगों के लिए मिलने वाले प्रोत्साहन का लाभ मिल सके।
- इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश: सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में अधिक निवेश की अपेक्षा की गई है, जिससे आवासीय और वाणिज्यिक विकास को बढ़ावा मिल सके।
8. हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर
हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर ने कोविड के बाद के दौर में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश की मांग की है:
- रिसर्च और डेवलपमेंट: फार्मा सेक्टर ने रिसर्च और डेवलपमेंट पर टैक्स रियायत की मांग की है ताकि नई दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के विकास में तेजी लाई जा सके।
- हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर: ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने की मांग की गई है ताकि हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मिले।
निष्कर्ष
बजट 2025-26 से विभिन्न उद्योगों की अपेक्षाएं बढ़ी हुई हैं। सरकार की तरफ से ये संकेत मिले हैं कि उद्योग जगत की सिफारिशों पर विचार किया जाएगा ताकि विभिन्न सेक्टर्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक विकास को गति दी जा सके। इन सुधारों के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सकती है।